8TH SEMESTER ! भाग-32 ( आकर्षण & प्रतिकर्षण )
मुझे कंट्रोल मे रहने की सलाह देकर सिदार वहाँ से जाने लगा और मैं वही हॉस्टल वॉर्डन के बगल मे बैठ कर चाय की चुस्किया लेने मे बिजी हो गया ...
"NSUI का इलेक्शन लड़ेगा..??."वहाँ से जाते-जाते पीछे पलट कर सिदार ने मुझसे पुछा और मैने तुरंत अपना सर मुस्कुराते हुए............. ना मे हिला दिया....
"क्यूँ...."
"स्टडी पर एफेक्ट पड़ता है इससे, मैने सुना है ऐसा..."
"ओके... वैसे स्टडी के आलावा जो कुछ भी करेगा उसका भी इफ़ेक्ट स्टडी पर पड़ता है, फिर चाहे खाना ही क्यों ना खा.. खैर, तेरी मर्जी...."
सिदार वहाँ से चला गया और चाय ख़त्म करने के बाद मै भी अपने रूम मे आ गया. अपने रूम मे आने के बाद मुझे जो काम सबसे पहला काम करना था वो था अपने कपड़ो पर प्रेस करना... कब तक ऐसे सिकुड़े -सिकुड़े कपडे पहन कर कॉलेज जाऊं.. अब तो दो -चार लोग जानने भी लगे है मुझे.... पर्सनालिटी मेन्टेन तो करके रखना ही था....
"एक मेरी शर्ट पर भी कर दे..."एक शर्ट मेरी तरफ फेक कर अरुण बोला
"टाइम नही है...."
"बहुत टाइम है, अभी तो डाइरेक्ट 1 घंटा बाकी है..."
"तो एक काम कर..."मैं प्रेस करना बंद करके सीधा खड़ा हुआ"घंटा पकड़ के झूल जा,.."
"कर दे..."
"ना..."
"अबे कर दे ना..."
"ना बोला ना..."
"रात को सिगरेट पिलाउन्गा..."
"एक बार बोल दिया ना कि नही करूँगा...."
"वो भी फ्री मे..."
"ला अपनी शर्ट दे... तू भाई है मेरा.. तेरे को कभी ना बोल ही नही सकता मै "
.
कॉलेज मे मेरा रोला तो धमाकेदार बना हुआ था , आलम यहाँ तक था कि जब मैं अपने हॉस्टल से निकल कर कॉलेज मे दाखिल होता तो बाहर खड़े या आते-जाते लोगो मे से सब तो नही लेकिन आधे मेरी तरफ ज़रूर देखते थे और वैसे भी जब आप 7 साल से फेल होने वाले गुंडे को मारोगे तो पब्लिक ऐसा ही रेस्पॉन्स देती है.... बाकी वो नफरत से देखते थे या मुझसे इम्प्रेस होकर... ये आज भी मेरे लिए सस्पेंस है... क्यूंकि मैने उन साइड करैक्टर्स की तरफ कभी ज्यादा ध्यान ही नही दिया.
"नॉमिनेशन फॉर्म भर लिया क्या तूने ? "अभी कॉलेज के अंदर एक कदम ही रक्खा था की अरुण बोल पड़ा"यदि ना लिया हो तो ,ले आ और लगे हाथ मेरे लिए भी एक..."
Bhu ने भी हमारे साथ कॉलेज के अंदर एंट्री मारी थी और उसी ने शायद अरुण से कहा था कि वो मुझे फॉर्म लेने के लिए भेजे....
"कितने का आता है..."
"30 rs का..."bhu ने झट से जवाब दिया...
"फिर तो एक bhu के लिए भी ले आउन्गा, bhu चल निकाल 90 rs "
अरुण ने तुरंत 100 रुपये. का नोट मुझे दे दिया और बोला"पैसे का मामला नही है कक्के....बात तो कुछ और ही है, जो आपको वही जाकर मालूम चलेगी अरमान सर..."
वहाँ से वो दोनो क्लास की तरफ बढ़े और मैं स्टूडेंट डिपार्टमेंट की तरफ बढ़ा और जैसे ही स्टूडेंट डिपार्टमेंट के पास पहुचा वहाँ का नज़ारा देख कर दंग रह गया, स्टूडेंट डिपार्टमेंट के बाहर बहुत लंबी लाइन लगी हुई थी....कुछ स्टूडेंट्स वहाँ पास बैठे peon से जुगाड़ जमा रहे थे ताकि उनका काम जल्दी हो सके, लेकिन मै ऐसा कुछ भी ना करते हुए सीधे लाइन मे लग गया,....
"एक्सक्यूस मी....."मेरे सामने वाली लड़की ने बहुत ज़ोर से कहा और पीछे पलटी....
उसे देखते ही जहाँ मैं चुप हो गया वही मुझे देखकर वो भी चुप थी, आँखो से आँखे मिली, उसके दिल का तो पता नही पर मेरे सीने मे लेफ्ट साइड मे क़ैद लाल रंग की एक चीज़ जिसे लोग दिल कहते है वो धड़क उठा....धड़कन तो ऐश को देखने से पहले भी चल रही थी, दिल तो पहले भी धड़क रहा था,लेकिन उस एक पल मे जब उसने मुझे देखा तो मुझे मेरी धड़कनो का अहसास हुआ, की वो धड़कता भी है. मैं चाहता था कि वो मुझे यूँ ही देखती रही, जिसके बाद हम दोनो एक दूसरे के करीब आए और मैं उससे बोलू कि
"आइआइईई ........."
"हेलो मिसटर,एक तो पहले धक्का देते हो और फिर उपर से लाइन मारते हो..."
वो मुझसे सवाल कर रही थी और मैं उस वक़्त उसे घूरे जा रहा था, पता नही साला ऐसा क्या था उस लड़की की भूरी -भूरी आँखों मे की मैं उसके साथ लाइफ टाइम स्ट्रॉंग बॉन्ड बनाना चाहता था,....
"Oye.. I m talking to you..."मुझे ज़ोर से झड़कते हुए एश बोली.....
"क्या हुआ..."होश मे आते ही मैने सवाल किया... "मैने कुछ किया क्या..? यदि किया हो तो सॉरी..."
"कुछ देर पहले तुमने मुझे धक्का दिया था...."
"तो..."
"तो..."
"तो... तो.. तो क्या..."
"तुमने जान बुझ कर मुझे धक्का दिया..."
"देखो ऐसा कुछ भी नही है, इतनी लंबी लाइन लगी है तो थोड़ा बहुत तो धक्का मुक्की हो ही जाती है...रिलैक्स "
"लेकिन तुमने मुझे जान बुझ कर धक्का दिया, सॉरी बोलो..."
"काहे का सॉरी बोलू....., "
लाइव फाइट का मज़ा लेने वालो की कभी कमी नही रहती और जब ये लाइव फाइट लड़के और लड़की के बीच मे हो तो दर्शक और बढ़ जाते है, उस वक़्त भी ऐसा हुआ,सब लाइन मे तो लगे थे ,लेकिन मज़ा भी ले रहे थे....
"मैं बोल रही हू ना सॉरी बोलो..."
"जा नही बोलता..."
वो पहली गुस्साई और अपनी गुस्सैल भूरी आँखो से मुझे धमकी दी लेकिन मैने फिर भी मैने सॉरी नही बोला तो वो पैर पटक कर आगे मूड गयी....
ना जाने क्यूँ, ऐश को ऐसे हैरान,परेशान, चिढ़ता हुआ देख कर अच्छा लग रहा था, वो जब भी तुनक कर पीछे मुड़ती तो मैं हंस देता और वो फिर तुनक कर आगे देखने लगती....
"ये भीड़ इतनी जल्दी क्यूँ ख़तम हो रही है...."
छोटी होती हुई लाइन को देख कर मैं खुद पर चिल्लाया, उस वक़्त मैं सबके उलट यही चाह रहा था कि ये लाइन आराम से दो तीन घंटे मे ख़तम हो...., क्यूंकी हर 5 मिनट. मे मैं कुछ ऐसा कर देता जिसकी वजह से एश पीछे मूड कर देखती और जब वो मुझे देखती तो एक लफ्ज़ हर बार ज़ुबान पर आता लेकिन मैं आख़िरी तक वो लफ्ज़ बोल नही पाया....मैं हर बार "आइ...."पर आकर अटक जाता था.
उसके उलट एश वहाँ खड़े होकर जल्द से जल्द मुझसे और लंबी चौड़ी लाइन से छुटकारा पाना चाहती थी....वो जल्द से जल्द नॉमिनेशन फॉर्म भरकर वहाँ से जाना चाहती थी, अंजाने मे ही सही लेकिन यदि इस वाकए को टेक्निकल तौर पर देखे तो मैं उसके करीब आना चाहता था लेकिन वो मुझसे दूर जाना चाहती थी और शायद यही हमारी....हमारी नही.... मेरी तक़दीर थी..... जिसके बारे मे मै उस वक़्त बिलकुल अनजान था.
"तुमने अभी मुझे क्या कहा..."हर बार की तरह वो एक बार फिर नाक मे गुस्सा लिए हुए पीछे पलटी...
"मैने तो कुछ नही कहा, मैं तो भूल भी गया था कि तुम भी यहाँ खड़ी हो... कौन हो तुम... किस कॉलेज मे पढ़ती हो क्या...?"
"मैने सुना, तुमने मुझे कहा, ये मेरी एंजल है..."
"इसने कैसे सुन लिया, ये तो मैने खुद से कहा था...."खुद से बाते करते हुए, मुझे जब कुछ नही सूझा तो मैं ज़ोर-ज़ोर से हँसने लगा...
"वो तो मैं फोन पर अपनी गर्लफ्रेंड बात कर रहा था...."
"झूठ मत बोलो...."
"हद है यार,...अब मैं किसी को कॉल भी ना करू क्यूंकी तुम यहाँ मेरे पास, मेरे करीब हो...."
"Ok then....."वो फिर पलट गयी और दिल के एक बार फिर टुकड़े होकर जुड़ गये...
"हेलो गौतम..."अपना कॉल रिसीव करके उसने कहा....
"इस साले ने कॉल क्यूँ किया..."मैं बड़बड़ाया...
"स्टूडेंट डिपार्टमेंट के सामने.."एश ने कॉल डिसकनेक्ट कर दी और एक बार फिर से पीछे पलट कर मुझे देखने लगी...वो मुझे जलाना चाहती थी,लेकिन मैं शांत खड़ा दूसरी तरफ देखता रहा और तब तक दूसरी तरफ देखता रहा,जब तक वो आगे नही पलट गयी....
"हे.. ईशा ..."गौतम ने ऐश को देखकर दूर से अपना हाथ हिलाया और एश से पॉजिटिव रेस्पॉन्स पाकर वो उधर ही आने लगा... मुझे वहाँ एश के पीछे देखकर उसका दिमाग़ खिसक गया और वो अब तेज़ी से मेरी तरफ आने लगा.....
"तू.. चल निकल यहाँ से ..."उंगली बाहर की तरफ दिखाते हुए उसने मुझसे सीधे यही कहा
"क्यों सर "उसकी आँख से आँख मिलाते हुए मैने पूछा
"बस बोल दिया ना निकल तो निकल..."
"गौतम रिलैक्स ....तुम्हे हर किसी से भी कैसे लड़ सकते हो ,कुछ तो स्टॅंडर्ड रक्खो अपना..."गौतम को शांत करते हुए एश बोली..................................
Kaushalya Rani
26-Nov-2021 06:33 PM
Nice part
Reply
Barsha🖤👑
26-Nov-2021 05:35 PM
बहुत बढ़िया
Reply
Miss Lipsa
30-Aug-2021 08:40 AM
Wow
Reply